Saturday, May 9, 2009

आज चा िदवस तसा काही बरा गेला नाही

आज चा िदवस तसा काही बरा गेला नाही कारण याआधी २००५ वष्ीर् ३००० रू एका िदवसात कमिवले २००६_०७ ला १५०० परन्तु २००८ मध्ये ८०० आिण् २००९ ला10 वी चा परीक्ष्ा पिरण्ााम आला तर सेंध्ाव्यामध्ये इंटरनेट ची ४ दुकाने नवी उघडली त्यांची पिरिस्थ्ाित अशाी कि त्यांनी ब्रांडबेंड घेउन आपले दुकानावर गदीर् गोळ्ा केली । पण्ा मला काही ते जमल नाही म्हणून माझ मन आज िख्ान्न् झालं आिण्ा ता। १० मे ला मी राउ इंदाैर माझी सांसरवाडी ला जाण्ाार म्हण्ोउदया सकाळ्ी आिण्ा एक प्रापटीर् ब्रोकसर् चे काम घ्यायचं आहे ईशवर मला त्यामधये सफलता दे म्हणजे मी पण् मोठा माण्ूस व्हायची स्वप्न बघ्ू शकतो ।
म्ें तेरे दर पर आया दास होकर
मैने इस कष्ट भ्ारे जीवन में
न जाने कितनी बार ख्ााई ठोकर
हर ख्ुश आैर दुख्ाी से पूछा ईलाज
उसने कहा जा शरण् उसकी जो
करा देता है सबको पार भ्वसागर
इसिलए मै शरण्ा आया तूम्हे ईशवर

मै तेरे दर पर आया दास होकर
मुझे दे दो िभ्क में अपनी
थ्ोडी कृपा आैर बना लो मुझे
अपना चाकर नौकर

आपकी कृपा हो जाये िजस पर
वो तो सेठ है काहेका का नौकर
बसस आपका ही चाकर बने
तो उसकी िजंदगी स्ंवर जाये
वो तो िबन मांगे ही सब पा जाये

ख्ुिशया झोली में भ्ार दो भैरव नाथ्ा
मै, मेरा पिरवार आैर हष्र् आपके जोडते है हाथ
करते है कामना हर, दुख्, सुख्, हर क्ष्ण दोगे आप हमारा साथ
हे मेरे स्वामी, भैरव नाथ्
आपकी सदा ही जय हो

Friday, May 8, 2009

परम पूज्य गुरूजी श्री भ्ौरव बाबा के नाम से पुकारतेो।


मेरा आज का दिन 08 मई 2009 तसे मी पण मराठीत लिहू शकतो ते काहिअशक्य नाही.

काम करना वैसे भी अपने आप में एक महान कार्य होता है। जो कार्य आप अपने जीवन में जितनी बार कर सकते है वह कार्य अच्छा एवं समाज, लोगों, तथा आसपास के लोगों के हित को देखते हुए किया गया है या नहीं उसी प्रकार आपके सभी कार्यो को ईश्वर की अनुकम्पा का होना भी अतिआवश्यक है । इसी प्रकार मुझ पर श्री गणेश मंदिर तथा भैरव मंदिर के परमपूज्य पुजारी श्री नत्थूप्रसादजी जोशी जिन्हे समस्त सेंधवावासी "भैरव बाबा" कहकर पुकारते थे । उनका स्वर्गवास+ दिनांक ०३ मई २००९ रविवार शाम ७.३० पर हो गया है।
वे हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण तथा हमारे पिता समान थे हमें रोजमर्रा किसी भी प्रकार की परेशानी से उबारने हेतु वे हमेशा अपनी कोई न कोई राय याउपाय हमेंशा बताते थे उनकी कमी तो मुझे पूरी जीवन भर खलती रहेगी ।

Tuesday, May 5, 2009

घ्ार बैठे आप कमा सकते है २०००से ४०० रू राेज

आज िदनांक 03मई २००९ है किन्तु यह िदनांक भ्ाी उतनी ही यादगार है िजतनी ०३ मई २००७ क्योंकि मेरे परम पूज्य िपताजी श्री गुरूदेवदत्त जो हमारे ईष्ट देव थ्ो लेकिन मेरे िपताजी की अंितम इच्छा यही थ्ाी कि वे अंितम समय से पहले हमारे गुरूदेवदत्त का जन्मस्थ्ाान गाण्ागापुर कर्नाटक गुलबर्ग्रा के पास में िस्थ्ात है। यहां पर तीन स्थ्ाान अितमहत्वपूर्ण्ा माने जाते है १ कर्मस्थ्ाान, भ्ाकितस्थ्ाान, मुकितस्थ्ाान अर्थ्ाात् पहले कमर् करो तदनंतर भ्ाकित करो तभ्ाी मुकित का मागर् संभ्ाव है। वहां पर मुकितस्थ्ाान े दशार्न भ्ाीमा नदी के पास होते है। यहां पर भ्ास्म का पहाड़ भ्ाी िस्थ्ात है जहां से भ्ास्म लाकर हमने संभ्ाालकर रख्ाी ै। कहते हैं कि यह भ्ास्म िजस किी के घ्ार में िस्थ्ात होगी वहां पर कभ्ाी अकाल मृत्यु, कई दुघ्ार्टना चोरी, एवं गरीबी कभ्ाी नहीं आती है। स्वयं दत्तभ्ागवान ने यहां पर माहुर गढ से मां के पास से आकर िभ्ाक्ष्ाा मांगकर अपना जीवनयापन करते थ्ो।
इसिलए यहां पर जो भ्ाी व्यकित िबना िभ्ाक्ष्ाा मांगे दशार्न कर आ जाता है उसंे यहां के दशार्न लागू नहीं पडते । मेरे साथ्ा की एक आशचर्यजनक घ्ाटना अापको सुनाता हूं। मेरे िपताजी की परम आशाीर्वाद से मैं १२ वी के बाद पढ नहीं सका किन्तु कम्प्यूटर के क्ष्ोत्र में इतना नाम कमाया कि मुझे कभ्ाी मेरे कम पढााई से कोई प्राब्लम नहीं हुई। आज मैं अपने पुत्र हर्ष् के नाम से हर्ष् कम्प्यूटर के नाम से दुकान डाली है । मैं जब गाण्ागाापुर पहुंचा तो जीप से उतरते ही एक साध्ाु बाबा जो बहुत शराबी थ्ो उन्होने मुझे देख्ाते ही कहां कम्प्यूुटर चलाता है तो अपने आपकाो बहुत होिशायार समझता है। मैं दंग रह गया मैने उन्हे प्रण्ााम किया बाबा मैं नहीं जानता आप कौन है परन्तु मैं आपको सादर दंडवत करता हू। कृपया मुझे बताये कि हम यहां के पवित्र दर्शन कैसे प्राप्त करे।
तो यह थ्ाी मेरे साथ्ा जुडी एक घ्ाटना किन्तु अपना िवष्ाय अलग थ्ाा_
मेरे िपताजी गुरूदेव दघ्त्त के भ्ाक्त थ्ो तो वे गुरूवार ३ मई २००७ को शाांत हुए। उन्होने भ्ाी स्वगर् में प्रवेशा िलया।
तथ्ा मेरे इष्ट श्री कालभ्ौरव नाथ्ा के परम पूज्य पूजारी स्व। श्री नत्थ्ाूप्रसाद जी जोशाी जो सुदामा का__लोनी में िनवास करते है। उनका देहांत ३ मई २००९ रविवार को हुआ वे भ्ाी भ्ौरवजी के परमभ्ाक्त थ्ो तो उन्श्होने रवीवार को अपने प्राण्ाो का त्याग किया । अर्थ्ाात इन दोनों ने अपने अपने इष्टदेवों के िदन ही अपनेा िनवार्ण्ा िदवस चुना ।