Friday, April 25, 2008

Harsh Computer sendhwa ka karnama

डेअर सर

सेंध्वा तहसील मे वेसे तो कंप्यूटर की कई दुकाने है परन्तु सबसे पुरानी और सबसे अच्छी दुकान है किरण कंप्यूटर जिसका वर्तमान मे नाम परिवर्तन कर दीया है अभी इस दूकान का नाम है हर्ष कोम्पुतेर्स एवं इंटरनेट इस दूकान की एक खासियत य है की इस दुकान का यानि की मैं लाक्स्मन सोनी लाक्स्मन सोनी पिच्च्ले १५ सालों से कंप्यूटर एवं इंटरनेट के कार्य करता आ रहा हूँ। जीस कारन से मेरा कार्य अत्यन्त शुद्ध एवं त्रुत्री विहीन होने के वजह से लोग मुजे पसंद करते है। मैं १२ वी तक पढ़ा और गरीबी परिस्थिति के कारन मैंने पढ़ाई छोधाकर हिन्दी इंग्लिश मराठी टाइपिंग की परीक्षाएं पास कर ली एवं कंप्यूटर का महाराष्ट्र से MSCITka Diploma 83% से उत्तीर्ण कर लिया है। मेरी दूकान २००३ मैं मैंने बैंक ऑफ़ इंडिया से प्रधान मंत्री रोजगार योजना मैं लोन लेकर शुरुआत की थीई एवं फोटो कापी मशीन के लिए स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया से लोन लिया था। और इस तरह MehanaT से मैंने अपना मुकाम पा लिया और मेरी शादी १२ दिसम्बर २००५ को मेरे पिताजी की जीवित अवस्था मैं हुई - मुजे एक लड़का भी है जिसका नाम हर्ष है। यह मेरे पिताजी का ही अस्शिर्वाद है।
इसका जन्म के समय की एक रोचक घटना आपको बताना छाता हूँ। मेरे हर्ष का जन्म ११ नवम्बर २००६ को रात्रि १०-३५ पर हुआ और मैंने पिताजी को यह ख़बर सुनाने गया ही था की बीमार अवस्था मैं मेरे पिताजी ने कहा की मुजे बड़ा ही हर्षा हुआ है।
और इसी वजह से मैंने और मेरी पत्नी ने मिलकर उसका नाम हर्ष रखा।
सुबह जब मैंने कंप्यूटर से कुंडली निकले तो उसकी कर्क राशी थी। पंडित से पूछने पर पंडितजी ने बताया की इसका नाम आप इसके दादाजी की इच्छानुसार ही रखे। और हमने उसका नाम हर्ष रखा और मेरी दूकान का नम भी हर्ष कंप्यूटर रखा।
आज १ वर्ष होने को आया मेरी दुकान काफी अच्छी चल रही। है।
मेरे पिताजी का देहांत ३ मई २००७ को हुआ ।
सारी दुनिया मैं कौन किसका होता है।
बाप बेटे का बेटा बाप का होता है।
मैंने मेरे पीता की की तन मन से सेवा

इसी का फल मुजे मिला है
खा रहा हूँ रोज मेवा ।
छाहे कितनी ही तकलीफें आयें
जीवन मैं कभी नही भूलना
माँ बाप को वाही तो लाये
इस दुनिया मी हमें
दुनिया दिखाने कऔर प्रथम अधिकार
उनको ही है। क्यों बुढापे मैं उनको
ठुकराते हो। क्या कल तुम बुधे नही होओगे
जब क्या तुम्हारी औलाद तुम्हे हाथ साथ देगी
नही--------- वो तो तुम्हारी भी मजे लेगी
मटरू देवो भाव पितृ देवो भाव
यह मेरे पूज्य पिताजी को समर्पित।
मेरा जीवन १७ साल की उम्र से बड़ा संघर्षमय पर्तिष्ठितियों से गुजरा है। इसलिए मैं कड़ी मेहनत पर और इश्वर पर विश्वास रखते हुए सभी काम पूर्ण करने का जी-तोड़ प्रयास करता हूँ। आज भी मैं सुबह ९ बजे से रात्रि १० बजे तक कड़ी म्हणत करता हूँ।
मैंएस अभी कंप्यूटर कोचिंग एवं Saybar Kafe क्य्ब्ले कैफे चालू किया है।
और स्क्रीन प्रिंटिंग भी मेरी दुकान मी शुरू हो गई है।
जीस किशी को भी लाभ लेना हो। ले जावें.

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