Monday, December 22, 2008

मेरी अपनी जीवनकथा जो मेरे द्वारा कही गई

प्रिय दर्शकों आपने मुझे हमेंशा सराहा है और मैं आशा करता हूं कि आप मुझे हमेंशा सराहेंगेा
वैसे तो दुनिया में कौन किसी के लिए मरता है हम है जो औरो के हुए भी नहीं थे और औरों ने हमें पराया बना दियाा
अपनो से क्‍या शिकवा करे हम हमें तो गैरो ने बेपनाह मोहब्‍बत दी लेकिन अपनो ने सरे बाजार बिकवा दिया
शायर भी क्‍या लिखे शायरी हमने ऐसी एक गजल बनायी है
जो मोहब्‍बत की कलम से बनी हमें वही काम आयी है हमने जो भी अपना सपना देखा चूर चूर हो गया

वही गजल हमें आज सरे आम किन किन लिबासों में लपट झपट कर जार जार कर रूलाती हुई नजर आई हैा
हम तो अपनी ही किस्‍मत को कोसते रहे मगर हमें क्‍या पता था कि खुदा भी हमारे साथ नही है
वही मोहब्‍बत में गिराता है और हम तो मोहब्‍बत को समझ भी नहीं पाये थेा
कि अपनी जिंदगी का एक झटका ऐसा लगा कि हम अपने ही होश में बेहोश हो गयेा
ऐ जिंदगी हमें अपनी आगोश में ले लो क्‍या पता कि हम आपके हो न सके

काश कि हम मौत को भी बुलाकर उससे बात कर पाते और यमराज से मुलाकात कर पाते


मेरे दोस्‍तो मैने कुछ लिखने की कोशिश पहली बार की है यदि इसमें आप किसी भी प्रकार की गलती को देखते है तो मुझे इस पते पर ईमेल करेंा
Email - laxmansoni@rediffmail.com

मैने अपना जनम दिन 05 नवम्‍बर 2008 को मनाया उसके ठीक 6 दिन बाद मेरे लडके हर्ष का जन्‍म दिन मैने इंदौर के पास राउ में मनाया ा जिसकी वजह मेरी सगी मां ने मुझे लात मारकर घर से निकाल दिया ा मेरे सगे भाई जिनसे मैं बेपनाह प्‍यार करता थाा वो पराये हो गये ा मेरी सगी मा ने मुझे सारे अवाम समाज के सामने मरा हुआ कह दिया और मेरे बच्‍चे को भी और पत्‍नी को भी इसलिए मैने आज से यह फैसला किया है कि मैं मेरी जिंदगी खुद जिउंगा ा मेरे पिताजी का देहांत हो चुका हैा इसलिए मैं अब स्‍वयं अपने बलबूते पर खडा हो चुका हूंा मैने मेरी मां को भी खूब पैसा कमाकर दिया ा वो सारा हडप कर बैठ गई ा

मैं आज की तारीख में सेंधवा में एक छोटी दुकान चला रहा हूंा लेकिन मेरे पिछले दो महिने बहुत खराब बीते हैा मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि मेरे पास इतना नॉलेज होने के बावजूद मैं इतना पिछे कैसे रह गयाा क़पया मुझे बताने का कष्‍ट करें कि मैं क्‍या करू जिससे मेरी जिंदगी खुशहाल हो जायेा वैसे मैं अपने ईष्‍ट श्री भैारव बाबा को पूर्णत- मानता हूं और मेरे पिताजी श्री गुरूदेव के भक्‍त थे मैं उनकी पूजा अर्चना करता हूंा

लेकिन फिर भी मैं अपने आप में समझ नहीं पा रहा हूं कि मैं इंदौर में व्‍यवसाय करने जाउ या सेंधवा में ही अपने व्‍यवसाय को बढाउ
बा‍की बाते कल के दिन धन्‍यवादा

7 comments:

indianrj said...

हर्ष आप अपने पिता के लिए तो बड़े श्रद्धा से पेश आते हैं, लेकिन अपनी माँ के लिए आपके शब्दों का चयन ठीक नहीं. अगर आप ज़िन्दगी में तरक्की करना चाहते हैं, तो मेरा विचार है कि अपनी जन्मदात्री की इज्ज़त करेंगे तो ईश्वर भी ज़रूर साथ देगा.

Unknown said...

हिन्दी चिठ्ठा विश्व में आपका हार्दिक स्वागत है, मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं… एक अर्ज है कि कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें ताकि टिप्पणी करने में कोई बाधा न हो, धन्यवाद… भाषा में भी थोड़ा नरमी लायें तो ठीक रहेगा…

bijnior district said...

हिंदी लिखाड़ियों की दुनिया में आपका स्वागत। अच्छा लिखें। बढिया लिखे। हजारों शुभकामनांए।

Prakash Badal said...

स्वागत है आपका।

Manoj Kumar Soni said...

हिन्दी चिठ्ठा विश्व में स्वागत है
टेम्पलेट अच्छा चुना है. थोडा टूल्स लगाकर सजा ले .
कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें .(हटाने के लिये देखे http://www.manojsoni.co.nr )
कृपया मेरा भी ब्लाग देखे और टिप्पणी दे
http://www.manojsoni.co.nr और http://www.lifeplan.co.nr

प्रदीप मानोरिया said...

बहुत सुंदर वास्तव में अलग सी बात है | बधाई सुंदरजानकारी की प्रस्तुति के लिए आपका लिखने पढने की दुनिया में स्वागत है निरंतरता की चाहत है ... मेरे ब्लॉग पर पधारें

Satnam singh said...

hi laxman....
well its nice 2 see ur blog, but i want to tell u one thing.. look i dont kn hindi typing so sorry i writing in english..
i m sorry 2 u all..
mai apni Rashtrabhasha ki bahut izzat karta hu lekin mujhe hindi ko english letters ke madhyam se kahana bilkul pasand nahi hai...

Laxman mai tumhe bahut pahle se janta hu... yeah bhi janta hu ki tum bahut mehna ti ho aur bahut jaldi ek achha mukam hasil karonge..
meri salah mai tum jaha bhi raho.. bus mehanat aur lagan se kaam karo..
MAMA pahle jab bhi tumse mila tumhe issi naam se bulana.. tum sendhwa ke Jagat mama ho....
bus lage raho...
be happy..
tc
all d best